भाग्य बड़ा ही बलवान है, इस बात को सच करता है भारत का लोकतंत्र। वैसे तो चोपाल गांव में लगती है पर कभी कभी या फिर अक्सर ट्रेन के डब्बों में भी लगती है। एक बार मैं और राका दिल्ली से इंटरव्यू देकर वापस लखनऊ आ रहे थे। हमने दो बजे वाली गोमती पकडी और अपनी अपनी सीट पर बैठ कर यात्रा का आनंद लेने लगे। मैं भारत के काफी हिस्सों मैं रह चुका हूँ और काफी जगह घूम कर भी आया। मैंने और शायद काफी लोगो ने इस बात को महसूस किया होगा की उत्तर प्रदेश के लोग राजनीती में ज्यादा दिलचस्पी लेते है।
यह बात है, जब हमारे देश के देवगौडा जी थे, हुआ यू की मैं और राका तो एक दूसरे के face करते हुए साइड की सीटो पर बैठे थे और बाकि की छेह सीटो पर दोस्तों की एक मण्डली बैठी हुई थी। ऐसी ही कुछ बात हुई तो एक सज्जन बोले --- भई हमारे देश मैं प्रधानमंत्री बनना कोई बड़ी बात नहीं है, यहाँ तो कोई भी गधा घोड़ा प्रधानमंत्री बन जाता है.
उन सज्जन ने वो बात जो भी सोच कर कही होगी लेकिन कही बहुत सटीक और ऐसी सटीक की हमारे प्रजातंत्र का कच्चा चिटठा खोल कर रख देती है। और वैसे भी देखा जाए तो राजीव गाँधी जी के बाद अटल जी ही एक ऐसे प्रधानमंत्री है हो सही मायने मैं उस पद के अधिकारी थे।
देवगौडा जी का pm बनना किसी joke से कम नहीं था औए उस से भी बड़ा दुर्भाग्यशाली था चन्द्रसेखर जी का गद्दी पर विराजमान होना। ऐसा शायद ही किसी और लोकतंत्र मैं सम्भव होगा की ५ प्रतिशत सीटे होने के बावजूद भी उन्हें गद्दी पर बिठा दिया गया। वि प्र सिंह जी को जिस विस्वास से लोगो ने गद्दी सौंपी थी, उन्होंने उसी पर कुठाराघात कर देश को मंडल और कमंडल के बीच मैं बाँट दिया।
यह राजनीती इतनी भ्रष्ट होती जा रही है की अब तो डर लगता है की सुश्री मायावती कही देश के बागडोर न सम्भाल ले, अगर ऐसा होता है, इस से बड़ा दुर्भाग्य देश का न hooga
लोगों का काम है वोट देना। राजनेताओं का काम है लोगों के दिये गये वोटों से विश्वासघात करना। दोनों अपना-अपना कर्म करते रहें!
ReplyDeleteI do not know who said this but it is true to certain extent, " people deserve the kind of government they have". I mean to say that we are also responsible for throwing hung parliaments and being part of divisive politics rather than issue based politics.
ReplyDeleteआप जैसे नौजवानों को आगे आना चाहिये इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को रोकने के लिए.
ReplyDeleteजबतक किसी एक पार्टी की स्थिति काफी मजबूत नहीं दिखाई देती ... और सांसदों के एक एक वोट के लिए खरीद फरोख्त होती रहेगी ... कुछ भी हो सकता है यहां की राजनीति में ... आपकी चिंता स्वाभाविक है।
ReplyDeleteyahan loktantra hai kahan, jahan log keedon ki jindagi basar karte hon, wahan loktantra ho sakta hai bhala
ReplyDeleteगौरव जी सही कह रहे हो. वो दिन देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्यशाली होगा जिस दिन मायावती प्रधानमंत्री बन जायेगी. इसने यूपी का तो बंटाधार कर ही दिया है, अब देश का भी करने वाली है.
ReplyDelete1984 ke riots mai itne sikh log mare gaye, saza kise ko na hui,
ReplyDeleteidhar hiran(Deer) ko mar diya, saza 5 saal!!
:(
You are absolutely right, not a single person has been convicted. It is a shame and to add to that irony that party has been ruling India forever it seems. Only justice was the assasination of Lalit Maken by Jinda. No justice delivered to Tytler, Sajjan Kumar and HKL Bhagat.
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