मैंने जब तक होश संभाला तब तक emergency खत्म हो चुकी थी और इंदिरा जी भारतवर्ष कि प्रधानमंत्री हुई करती थी. तब मैं यही सोचता था कि इंदिरा गाँधी महात्मा गाँधी कि बेटी है और काफी समय तक इसी भुलावे में रहा.
इंदिरा नेहरु का जनम १९१७ में अलाहबाद में हुआ था. शान्तिनिकेतन में आरंभिक शिक्षा के चलते गुरु रबिन्द्र नाथ टगोर ने इंदिरा को 'प्रियदर्शनी' का नाम दिया था. हालाँकि स्वंतंत्रता आन्दोलन के इतिहास में इंदिरा के योगदान कि ज्यादा चर्चा सुनने को नहीं मिलती है परन्तु १९४२ में इंदिरा जी २५ साल कि हो चुकी थी और उसमे उनका भी योगदान रहा है.
वैसे भी भारतीय इतिहास हम भारतियों को आज तक गुमराह ही करता आया, कितने ऐसे कद्दावर नेता और नेता इतिहास के पन्नो में दफ़न ही होके रह गए है, मुख्यत: भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस,श्यामा प्रसाद मुखर्जी, मास्टर तारा सिंह, सरदार पटेल.
चंद दिनों पहले मेरे एक मित्र ने मुझसे सरदार (पटेल) फिल्म देखने का आग्रह किया, जिसको देखने के पश्चात मुझे ज्ञात हुआ कि नेहरु जी तो प्रधानमंत्री पद के नैतिक अधिकारी थे ही नहीं क्यूंकि १६ में से १३ समितियों ने सरदार पटेल को कांग्रेस का नेता चुना था.
चलिए वापस आते इंदिरा नेहरु के मुद्दे पर. इंदिरा जी कि उच्च शिक्षा इंग्लैंड में हुई जहाँ उनकी मुलाकात फ़िरोज़ से हुई. यह विषय काफी विवादस्पद है और हो सकता है कि मैं गलत हूँ. चूँकि फ़िरोज़ एक पारसी थे इसीलिए नेहरु जी को यह रिश्ता पसंद नहीं था. ऐसा प्रतीत होता है कि इंदिरा जी कि जिद के चलते नेहरु जी को इसके लिए हाँ करनी पड़ी थी. ऐसा माना जाता है कि महात्मा गाँधी ने अपना नाम फ़िरोज़ को दिया था ताकि उन्हें राजनितिक क्षेत्र में स्वीकृति मिल सके. १९४२ में इंदिरा जी के फ़िरोज़ जी के साथ विवाह के पश्चात वो इंदिरा गाँधी के नाम से ही जानी गई है. वैसे इस विषय में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है क्यूंकि कांग्रेस पार्टी भारतवासियों को गुमराह करने में शुरू से ही काफी मुस्तैद रही है.
अब समय आ गया है कि इतिहास कि किताबों में फिर से झाँका जाए और सत्य कि खोज कि जाए. फिर से उन नेताओ को जिन्हें कांग्रेस पार्टी भुला चुकी है उनको आदर सामान दिलाया जाये. बाते जाये भारतवर्ष को कि सुभाष जयंती कब है और क्यों सुभाष, भगत सिंह, पटेल, तिलक, लाला जी भारत माता के भुला दिए लालों में से है.
जय हिंद
सुभाष जयंती २३ January !
No comments:
Post a Comment