Saturday 25 September 2010

माताश्री का इंग्लैंड आगमन

मम्मी छुटपन में मुझे श्रवण कुमार की कहानी सुनाती थी, शायद इसके पीछे उनकी यही मंशा रही हो की उनका बेटा भी श्रवण कुमार ही निकले. अब यह कहाँ तक सही हो पाया यह तो वही जाने.

मेरी यह हार्दिक इच्छा थी की अपने साथ साथ अपने परिवारजनों की भी जगह जगह भ्रमण  कराऊँ. मम्मी को इंग्लैंड घुमाने का प्रयास मैं काफी समय से कर रहा था परन्तु यह २०१० की गर्मियों में जा कर ही साकार हो पाया. अन्तंत माताश्री जून २०१० को इंग्लैंड के हीथ्रो विमानपतन तक पहुँचने में सफल हो ही गई.

माताश्री को इंग्लैंड बहुत पसंद आया. विशेषत: यहाँ का साफ़ सुथरा वातावरण और अनुसशित नागरिक. माताजी का इंग्लैंड प्रवास तक़रीबन तीन महीने का था और इस दौरान मेरा प्रयास यही था की मैं उन्हें ज्यादा से ज्यादा पर्यटन स्थल दिखा सकूँ.
thames नदी की किनारे 

गोल्डेन eye

लिसेस्टर मिष्टान की दूकान 
झील की kinare
माताश्री पाक कला में सिद्धहस्त है, उन्होंने  तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों से हमारी उदर पूर्ती कराई. खासकर के पोहा, साबूदाने की खिचड़ी, संभार, कश्मीरी गोश्त , लाल गोश्त इत्यादि इत्यादि.

मम्मी का हमारी सुपुत्री रोहिनी के साथ अच्छा समय व्यतीत हुआ और रोहिनी सिर्फ दादी के हाथ से fruits खाती थी.
मम्मी का दूसरा सबसे ज्यादा समय television के सामने कटा.   

क्यूंकि मैं भी टीवी का बहुत बड़ा चोर हूँ, इसलिए अगर टेनिस के matches आ रहे हो तो मम्मी को जबरन देखने पड़ते थे, परन्तु इस चक्कर में मम्मी राफेल नदाल की फेन बन गयी, जबकि मैं फेडरेर का फेन हूँ. मम्मी ने पूरा विम्ब्लेदों देखा और पूरे टूर्नामेंट के दौरान नदाल को सुप्पोर्ट करती रही और सारे matches देखे.

एक दिन टीवी में baghbaan फिल्म आ रही थी. मैंने कहा भी यह फिल्म न देखो बड़ी रोने धोने वाली है. परन्तु मेरी बात कौन सुनता है. अकेले बैठ कर देखती रहीं, जब मैं आया तो देखा रो रही थी.
मैंने कहाँ अब क्या हुआ? 
तो बोली, अमिताभ का चस्मा टूट गया है और उसके बेटे बना के नहीं दे रहे है.
मैं सोफे पर बैठा तो वहा चस्मा पड़ा हुआ था, और मेरे बैठने से टूट गया.
मैंने कहा, आपने जान के यहाँ रखा होगा, ताकि जान सको की मैं चस्मा ठीक करवाता हूँ या नहीं?
मैंने चस्मा ठीक करवा दिया, अगले ही दिन, नहीं तो baghbaan फिल्म तो अपना काम कर गई थी.



अब तो यही प्रतीक्षा है की मम्मी जल्दी से जल्दी वापस इंग्लैंड आये और हम सब के साथ आनंद से रहे.

5 comments:

  1. Bahut Badhia bandhuu! Adhunik Shravan kumar ka matri seva hetu harddik abhinandan !!

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  2. thank you anveshak jee. ab aap jaldi se kuch likh dalo.

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  3. चलिए कम से कम बेटे ने माँ के बारे में लिखा तो। अच्‍छा लगा।

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  4. सही रहे ना
    अगर गोवा मैं नौकरी कर लेते तो श्रीमान इंग्लॅण्ड मैं नौकरी नहीं कर पाते

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