
आखिरकार पाकिस्तान विजेता बन ही गया. यह एक ऐसा परिणाम है जिसकी काफी सारे लोगो को अपेक्षा नहीं थी. शायद ऐसा प्रतीत होता है की जैसे यही नियति थी. पिछली बार भारत ने पाकिस्तान को हरा कर यह कप जीता था और इस बार भारत की टीम प्रतियोगिता जीतने की प्रबल दावेदारों में से एक थी परन्तु कैप्टेन धोनी एवं टीम प्रभंदन के कुछ गलत फैसलों के कारण वो इश्वास को हकीकत में बदलने में असफल रहे.
पक्सितन की टीम का तरोताजा होना और यूनिस खान की कप्तानी का सही समय पर चलना उनके लिए सबसे भाग्यशाली साबित हुए. वही दूसरी तरफ भारत का जडेजा पर जरूरत से आताम्विश्वास घातक साबित हुआ. मेरे विचार में धोनी को युसूफ को उसी तरीके से प्रयोग में लाना चाहिए था जिस तरह अफरीदी को पाकिस्तान ने.
भारत की तरफ से एक और गलती यह हुई की टीम में स्ट्राइक बॉलर का न होना. अपने किसी भी मैच में भारत की टीम अपने प्रातिदवन्दियों को अल आउट करने में विफल रही है और पाकिस्तान के ३ गेंदबाज प्रतियोगिता के ३ सफलतम में से रहे. धोनी का ओझा को टीम से ड्राप करना सुरक्षात्मक निति का संकेत था और शायद इसी का खामियाजा भुगतना पड़ा.
अब तो यही आशा की जा सकती है की धोनी एवं टीम प्रभंधन अपनी गलतियों से सबक ले और अगले साल होने वाले कप की तयारी में जुट जाए.
पाकिस्तान में क्रिकेट टीम पर हुए आतंकी हमले के बाद उपजी विपरीत परिस्थितियों में पाकिस्तान की विजय उसकी एक बड़ी उपलब्धि है. अब वेस्ट इंडीज से सीरीज जीत कर भारत ने थोड़ी बहुत अपनी इज्जत बचा ली है.
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